तुलसी विवाह: परंपरा और धार्मिक महत्त्व”
धर्म और परंपराओं की दुनिया में, तुलसी विवाह एक महत्त्वपूर्ण और प्रिय उत्सव है। यह प्रतीत होता है कि जो घर तुलसी को हर दिन पूजता है, उस घर में धन कभी नहीं होता। धर्मग्रंथों में तुलसी जी की महिमा और महत्त्व को विस्तार से वर्णित किया गया है।
तुलसी विवाह का महत्त्व
तुलसी विवाह का विशेष महत्त्व कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी पर होता है। इस दिन तुलसी माता और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम जी का विवाह होता है। इसका माना जाता है कि इस विवाह से उनका परिवार हमेशा खुश और समृद्ध रहता है।
तुलसी विवाह की तारीख/ तुलसी विवाह कब हैं
इस साल, तुलसी विवाह का मुहूर्त कार्तिक मास की द्वादशी तिथि पर है। यह विशेष विवाह 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर, 24 नवंबर को शाम 7 बजे 6 मिनट पर समाप्त होगा।
तुलसी विवाह का उत्सव
विवाह के दिन, लोग स्नान करके उठते हैं और तुलसी और शालिग्राम की पूजा करते हैं। तुलसी के गमले को गेरू से सजाते हैं, और उन्हें गंगाजल और रोली या चंदन के टीके से संजोटा जाता है। शालिग्राम को सात बार तुलसी की परिक्रमा करके विवाह सम्पन्न किया जाता है। इस साथ-संग के उत्सव के दौरान परिवार और मित्रों के साथ भोजन की व्यवस्था की जाती है।
यह उत्सव एक धार्मिक महत्त्वपूर्णता से भरा होता है जो समृद्धि और प्रसन्नता का संदेश देता है। तुलसी विवाह एक परंपरागत उत्सव है जो समाज में सामूहिक एकता और धार्मिकता का संदेश देता है।
अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी और मार्गदर्शन के रूप में है। हमारा उद्देश्य किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक मान्यताओं को आपत्ति नहीं पहुंचाना है। कृपया अपने विशेषज्ञ या पंडित से परामर्श लें या संबंधित धार्मिक पाठ्यक्रमों का अनुसरण करें।”
तुलसी विवाह कब हैं