Timess Today

“virya bachane ke fayde” जीवन मैं कुछ बड़ा कर गुजरना चाहते हो तो बचा के रखे अपनी सेक्सुअल एनर्जी

virya bachane ke fayde
sparm
Sperm and egg cell on microscope.

 

सांसारिक भोगों में एक अजीब आकर्षण है। यही कारण है कि वे लोगों को आसानी से अपनी ओर खींच लेते हैं, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह जितनी हीबात यह है कि जितनी अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं जब मनुष्य इनमें डूबकर नष्ट हो जाता है, उतना ही वे अधिक आकर्षित होते हैं।

media
Young sportswoman crouching by the river and enjoying in the morning sun. Copy space.

virya bachane ke fayde

संयम एक व्यक्ति की सुंदरता ही नहीं बल्कि शक्ति भी है। उसे इस बल से अपनी रक्षा करनी चाहिए। इस तरह सस्ते में उसका अंत करना न तो उचित है और न ही फायदेमंद है। कठिन साधनाएं न करने पर भी, जो वीर्य (स्पर्म) को निरंतर रखते हैं, वे अनंत शक्ति का अनुभव करते हैं और कुछ भी कर सकते हैं। जीवन में सुधार करना चाहते हैं तो इस शक्ति को सुरक्षित रखना होगा।

 

rajnish osho

 

भारत के आध्यात्मिक गुरु ओशो ने कहा कि ब्रह्माचर्य सेक्सुअलिटी का ट्रांसफॉर्मेशन है, न कि विरोध। ब्रह्मचर्य ऊर्जा ऊपर की तरफ उठती है, जबकि यौन ऊर्जा नीचे की तरफ बहती है।

virya bachane ke fayde
Young woman in red long dress standing in morning mountains with rising sun and white fog below enjoying view of idyllic nature.

 

सेक्ससबलीमेशन वह है जब सेक्सुअल एनर्जी को ओजस या आध्यात्मिक ऊर्जा में बदल दिया जाए। यह दमन नहीं है, बल्कि स्थानांतरण है। यौन ऊर्जा पर नियंत्रण रखना, इसे संचित करना और इसे दूसरी ओर मोड़ना है। धीरे-धीरे यह ओजस शक्ति में बदल जाएगा। आध्यात्मिक ऊर्जा प्रकाश और विद्युत में बदल सकती है। साधना से सेक्सुअल ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल सकते हैं।

virya bachane ke fayde
rising sun

 

इस प्रक्रिया से गुजरते हुए, आप आत्मा के स्तर को ऊपर उठाते हैं, शुद्ध विचारों की ओर बढ़ते हैं, जिससे यौन ऊर्जा ओजस शक्ति में बदलकर दिमाग में संचित होती है। आप इस संचित ऊर्जा को बड़े कामों में लगा सकते हैं। उसे ओजस शक्ति में बदल सकते हैं अगर आप बहुत क्रोधित हैं या शारीरिक रूप से मजबूत हैं। जिस व्यक्ति के दिमाग में ओजस शक्ति संचित रहती है, उसका मानसिक बल बहुत बढ़ जाता है। वह बहुत समझदार बन जाता है। उसके चेहरे पर एक तेज दिखता है। कुछ शब्दों से ही वह दूसरों पर प्रभाव डाल सकता है। उसका व्यक्तित्व अनियमित हो जाता है।

virya bachane ke fayde

शंकराचार्य, ईसा मसीह और अन्य महापुरुषों ने अपना जीवन भर ब्रह्मचारी जीवन बिताया। ऊँचे उठे हुए बुद्धिजीवी लोगों का लक्ष्य अधिकतर एक संयमी जीवन जीना है। यही कारण है कि वैज्ञानिक, दार्शनिक, विचारक, सुधारक और उच्च चेतना वाले लोग संयम का जीवन जीते हैं। संयम सिर्फ शारीरिक नहीं है; यह मानसिक और आध्यात्मिक स्वच्छता भी है।

virya bachane ke fayde
sunset

 

यह सच है कि अधिक भोजन करने से मनुष्य की शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्तियां कमजोर हो जाती हैं। युवावस्था में यह बीमारी अधिक प्रकट होती है। वृद्धि में शारीरिक शक्ति बढ़ती है, लेकिन जीवन तत्व भी बदलते रहते हैं। इसलिए, इसका बुरा प्रभाव जल्दी नहीं दिखता; लेकिन युवावस्था के ढलते ही इसके नकारात्मक प्रभाव सामने आने लगते हैं।

virya bachane ke fayde
Beautiful female hiker rise

 

युवा कई कमजोरियों से पीड़ित होते हैं। धीरे-धीरे ढलने पर सहारा खोजने लगते हैं। जब इन्द्रियाँ कमजोर हो जाती हैं, तो जीवन एक बोझ बन जाता है। जब शरीर का तत्व वीर्य, मनुष्य की शक्ति और वास्तविक जीवन, अपव्यय होता जाता है, तो सारा शरीर खोखला हो जाता है। इस वीर्य की शक्ति का संचय कर बहुत से सिद्धहस्तों ने बड़े-बड़े चमत्कार किए हैं। यौन ऊर्जा हमारी अधिकांश ऊर्जा है, इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है। दृढ़ इच्छा शक्ति से हम अपनी यौन ऊर्जा को बहुत ही क्रिएटिक बना सकते हैं। कई विश्व प्रसिद्ध लोगों ने इस प्रक्रिया को अपने जीवन में अपनाया है, जैसे निकोलस टेस्ला, महात्मा गांधी, रिचर्ड वेंगर, दान्ते, होमर, हेनरी थोरू और लियोनार्डो द विन्सी।

इसकी भी विदेशी प्रचारकों ने कम प्रशंसा नहीं की है। डॉ. बोनहार्ड, एक प्रसिद्ध प्राणी विज्ञानी, ने अपनी पुस्तक “सेलिबेसी एंड रिहेबिलिटेश” में लिखा, “ब्रह्मचारी यह नहीं जानता कि व्याधिग्रस्त दिन कैसा होता है।” उसके पाचन तंत्र सदा नियंत्रित रहता है और वह वृद्धावस्था में भी बालक की तरह खुश रहता है।अमेरिकी प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. बेनीडिक्ट लुस्टा ने अपनी पुस्तक “नेचुरल लाइफ” में कहा है कि मनुष्य ब्रह्मचर्य की रक्षा करने और प्राकृतिक जीवन का पालन करने के हिसाब से महत्वपूर्ण है

virya bachane ke fayde
Sunrise on the lake. Thick fog, silhouettes of trees in the rays of the rising sun

 

श्री रामतीर्थ ने कहा कि ब्रह्मचारी का वीर्य तत्व सुषुम्ना नाड़ी से प्राण बनकर ज्ञान में बदल जाता है, जैसे दीपक का तेल बत्ती पर चढ़कर प्रकाश में बदल जाता है। प्राण, मन और शरीर की शक्तियों को पोषण देने वाले एक दूसरे ही तत्व में बदल जाता है, जो तत्व रति (काम, यौन संबंध) बनाने पर काम में लगता है।

विज्ञान इतना विकसित हो गया है, लेकिन आज भी वीर्य की उत्पत्ति का कोई सिद्धान्त नहीं है। उन्हें सिर्फ पता है कि स्त्री के डिम्ब (ओवम्) से वीर्य का एक कोश (स्पर्म) मिलता है। यही वीर्य कोश पुनः उत्पादन करता है, और हर कोश माँ से आहार लेकर कोशिका विभाजन प्रक्रिया के अनुसार विभाजित होता है। वीर्य का सबसे छोटा हिस्सा भी बहुत छोटा है। इनकी लम्बाई १६०० से १७०० इंच तक होती है, और इनमें मानव शरीर के अतिरिक्त महासागरों की शक्ति छिपी हुई है। इन्हीं बीजों में सृष्टि की बहुगुणित बनाने की प्रक्रिया भी निहित है। उसकी शक्ति का अनुमान लगाना मुश्किल है।

virya bachane ke fayde
Sunset scene in a ocean beach, Nature and travel background

 

ओजस भ्रूण काल के निर्माण के बाद शिशु जब विकसित होना शुरू करता है, तो वह सिर्फ उसके मस्तिष्क में रहता है। इसलिए गर्भ में शिशु का सिर नीचे की ओर होता है। जन्म के समय बालक के ललाट में दस रत्ती वीर्य होता है। शास्त्रों के अनुसार वीर्यशक्ति नौ से बारह वर्ष तक भौहों से उतरकर कण्ठ में आती है। बच्चे का स्वर प्रायः इसी समय सुरीला हो जाता है। दोनों की आवाज़ इससे पहले लगभग समान है। 12 से 16 वर्ष की आयु में वीर्य मेरुदण्ड से उपस्थ की ओर बढ़ता है और मूलाधार चक्र में धीरे-धीरे अपना स्थायी स्थान बनाता है।
जब कामविकार पहले मन में आता है, तो मूलाधार चक्र तुरंत तेज हो जाता है, जिससे सारा क्षेत्र जिसमें कामेन्द्रिय शामिल होती है, तेज हो जाता है. ऐसी स्थिति में ब्रह्मचर्य करना मुश्किल हो जाता है। 24 वर्ष की आयु में मूलाधार चक्र में से पूरे शरीर में यह शक्ति कैसे फैलती है? शास्त्रकार ने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि जिस प्रकार दूध में घी, तिल में तेल, ईख में मीठापन तथा काष्ठ में अग्नि तत्व हर जगह मौजूद है, उसी प्रकार वीर्य हर कण में मौजूद है।
25 वर्ष की आयु में शक्ति की मस्ती और विचारों की उत्फुल्लता देखते ही बनती है, अगर आहार-विहार को दूषित नहीं किया जाता और ब्रह्मचर्यपूर्वक रहा जाता है। ऐसे बच्चे लगभग पूरे जीवन स्वस्थ रहते हैं, जिससे रेतस की रचना-पचना हर जगह उत्साह और सफलता के रूप में दिखाई देती है।

virya bachane ke fayde
Layers of colored paper with torn edges. Landscape with the rising sun and birds. Abstract background in warm colors.

virya bachane ke fayde
योग विद्या का लक्ष्य है ऊर्ध्वरता बनना, ओज को अपने मूल स्थान, ललाट में लाना, जहाँ से वह मूलाधार तक पहुंचा था। कुण्डलिनी साधना में विभिन्न प्राणायाम साधनाओं द्वारा सूर्य चक्र की ऊष्मा को प्रज्ज्वलित कर इसी वीर्य को पकाया जाता है और उसे सूक्ष्म शक्ति का रूप दिया जाता है. इसके बाद उसकी प्रवृत्ति ऊर्ध्वगामी होकर मेरु दण्ड से ऊपर चढ़ने लगती है। साधक उसे विभिन्न चक्रों में ले जाता है और फिर से ललाट में लाता है। ब्रह्म निर्वाण का अर्थ है शक्ति बीज का मस्तिष्क में प्रवेश करना और सहस्रार चक्र को महसूस करना।

यहाँ भी पढ़े :sofia ansari net worth 2024 : प्रेमी, विकी, जीवनी, ऊंचाई, परिवार

timesstoday.com
Author: timesstoday.com

1 thought on ““virya bachane ke fayde” जीवन मैं कुछ बड़ा कर गुजरना चाहते हो तो बचा के रखे अपनी सेक्सुअल एनर्जी”

Leave a comment

Read More

Read More

error: Content is protected !!